देशभर की चीनी मिलों में गन्ना पेराई (Sugarcane Crushing) सीजन अब पूरी रफ्तार पर है। हालांकि चीनी न्यूनतम विक्रय मूल्य (Minimum Selling Price – MSP) और एथनॉल कीमतों (Ethanol Prices) को लेकर इंडस्ट्री में अनिश्चितता बनी हुई है। इस बार पेराई और उत्पादन दोनों ही पिछले सीजन की तुलना में अधिक हैं, जिससे स्टॉक बढ़ने की संभावना है। इसी को देखते हुए इंडस्ट्री ने सरकार से अतिरिक्त निर्यात की अनुमति की मांग की है।
अब तक कितनी गन्ना पेराई हुई?
नेशनल को-ऑपरेटिव शुगर फेडरेशन (NCSF) के अनुसार 30 नवंबर 2025 तक देश में 486 लाख टन गन्ने की पेराई हो चुकी है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 334 लाख टन था। अच्छा मॉनसून और लौटती बारिश से पेराई सुचारू है, हालांकि महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ इलाकों में किसानों के ‘रास्ता रोको’ आंदोलन (Rasta Roko Protest) के कारण कुछ बाधाएं आई हैं।
चीनी उत्पादन और रिकवरी में बढ़ोतरी
NCSF के अनुसार, इस सीजन में अब तक 41.35 लाख टन नई चीनी (New Sugar Production) तैयार हो चुकी है, जो पिछले वर्ष के 27.60 लाख टन से काफी अधिक है। चीनी रिकवरी (Sugar Recovery Rate) भी बढ़कर 8.51% हो गई है, जबकि पिछले वर्ष यह 8.27% थी।
रुझानों के आधार पर सितंबर 2026 तक कुल उत्पादन 350 लाख टन रहने का अनुमान है। इसमें से लगभग 35 लाख टन चीनी एथनॉल उत्पादन (Ethanol Production Diversion) में डायवर्ट होने की उम्मीद है, जिससे शुद्ध उपलब्धता 315 लाख टन रहेगी।
राज्यों का अनुमानित योगदान:
- महाराष्ट्र – 110 लाख टन
- उत्तर प्रदेश – 105 लाख टन
- कर्नाटक – 55 लाख टन
- गुजरात – 8 लाख टन
इंडस्ट्री ने क्यों मांगी 10 लाख टन की अतिरिक्त निर्यात अनुमति?
घरेलू खपत लगभग 290 लाख टन मानी जा रही है। 50 लाख टन ओपनिंग स्टॉक को जोड़ने पर सीजन के अंत तक 75 लाख टन चीनी स्टॉक बचने की आशंका है। इससे मिलों का वर्किंग कैपिटल (Working Capital) और ब्याज बोझ (Interest Burden) बढ़ेगा। इसीलिए NCSF ने सरकार से पहले घोषित 15 लाख टन के अलावा अतिरिक्त 10 लाख टन निर्यात (Sugar Export Demand) की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
6 साल से MSP में बढ़ोतरी नहीं
NCSF अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि पिछले छह वर्षों में MSP बढ़ा नहीं है, जबकि मिलों की लागत (Cost of Production) और होल्डिंग खर्च बढ़ चुके हैं। उन्होंने मांग रखी कि चीनी MSP तुरंत 41 रुपये प्रति किलो किया जाए।
पाटिल ने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक ने रंगराजन समिति (Rangarajan Committee) सिफारिशों को लागू करते हुए राजस्व साझेदारी मॉडल (Revenue Sharing Model) को लागू किया है, जिसमें 75% अतिरिक्त राजस्व किसानों और 25% मिलों को मिलता है। इसका लाभ लगभग 5 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों तक पहुंचेगा।
एथनॉल आवंटन में असंतुलन पर चिंता
NCSF के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि देश में 513 डिस्टिलरीज की कुल क्षमता 1953 करोड़ लीटर है। लेकिन एथनॉल चक्र-1 (Ethanol Cycle-1) में:
- गन्ना आधारित डिस्टिलरीज (Cane-Based Distilleries) को सिर्फ 288.60 करोड़ लीटर का आवंटन मिला,
- जबकि अनाज आधारित डिस्टिलरीज (Grain-Based Distilleries) को 759.80 करोड़ लीटर आवंटित किए गए।
उन्होंने कहा कि यह असंतुलन (Inequitable Allocation) तुरंत ठीक किया जाना चाहिए और गन्ना आधारित एथनॉल कीमतों में बढ़ोतरी (Increase in Cane-Based Ethanol Prices) भी आवश्यक है।

